Does your heart panic? क्या आपका दिल घबराता है ? धड़कन और ब्लडप्रेशर

क्या आपका दिल घबराता है ?

दोस्तों मैं यहाँ बीमारी की बात नहीं करूंगा, क्योंकि बीमारी का इलाज डॉक्टर के पास है। मैं बात करूँगा आपकी सोच के बारे में, की कैसे आपकी सोच आपकी घबराहट का कारण बनती है।

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दोस्तों हमारा दिमाग कल्पना और वास्तविकता में फर्क नहीं कर सकता। इसे हम एक उदाहरण से समझते है। “मान लीजिए कि आपका बेटा कॉलेज से आने में लेट हो जाता है और रात के 1 बज जाते है, ऐसे में आप सोचेंगे कि कुछ बुरा न हो गया हो, कहीं कोई दुर्घटना ना हो गई हो, और जब आप सोचेंगे तब आपकी धड़कन और ब्लडप्रेशर दोनों बढ़ेंगे। लेक़िन हो सकता है कि आपका बेटा दोस्तों के साथ पार्टी कर रहा हो।

इसकी विपरीत परिस्थिति में जाये तो मान लीजिए कि दुर्घटना सच में हुई और आपका बेटा घायल हो गया। लेकिन आप सोचते है कि हो सकता है वो दोस्तों के साथ हो, लेकिन तभी आपके पास एक कॉल आता है कि आपके बेटे के साथ दुर्घटना हुई है, और फिर आपकी धड़कन और ब्लडप्रेशर बढ़ना शुरू हो जाता है।

दोनों परिस्थितियों को देखे तो पहली स्थिति कल्पना की थी, और दूसरी वास्तविकता की लेकिन हमारे दिमाग को दोनों में फर्क समझ नहीं आया और उसने दोनों में समान प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी दोनों ही परिस्थितियों में धड़कन और ब्लडप्रेशर बढ़ने लगे और दिल घबराने लगा।

इस तरह हम कह सकते है कि हमारा दिमाग कल्पना और वास्तविकता में फर्क नहीं कर सकता। यह सब होता है हमारी सोच के कारण। सोच को नियंत्रित रखिये दोस्तों आपको बेवजह होने वाली घबराहट से काफ़ी राहत मिलेगी। और सोच को कैसे नियंत्रित करना है इसके लिए आप मेरे  दूसरे आर्टिकलस पढ़ सकते है।

“मन के ग़ुलाम ना बनो, मन को अपना ग़ुलाम बनाओ”
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