
Budget 2018: जैसा कि दोस्तों आप सभी को मालूम ही होगा कि बजट 2018 संसद में वित्तमंत्री अरुण जेटली के द्वारा पेश किया गया, हमे बजट में मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली ।
कुछ महँगा हुआ, कुछ सस्ता हुआ, नई योजनाएं और स्कीमों की घोषणाएं हुई। लेक़िन दोस्तों हर साल की तरह आम बजट में, आम आदमी के लिए ख़ास क्या होता है, कुछ सपने होते है जो सरकार के बुने होते है कुछ उम्मीदें होती है जो हमारी होती है। सरकार का काम होता है समय मे बजट पेश करना। लेकिन मिडिल क्लास की मुश्किलें तो आम लोग ही समझते है। ज़रा सोचिए पिछले साल भी तो बजट आया था, नई उम्मीदें और सपनें लाया था, ऐसा ही शोर-शराबा न्यूज़ में हुआ था, लेकिन क्या हुआ उन सपनों का?
होना क्या था भुला दिए गए हर साल की तरह. शायद लोग भी नए सपनों में खोना पसंद करते है, ना कि पुराने सपनों उलझना, इसीलिए दोस्तों मंत्री कोई भी हो, सरकार कोई भी हो, बजट वही रहता है उम्मीदों से भरा गहरे लाल चमड़े से बना “थैला”।
और दोस्तों, मुझ हर साल ‘बजट के मौसम’ में ग़ालिब का एक शेर याद आता है-
“ हमकों मालूम ज़न्नत की हकीकत लेकिन,
दिल के खुश रखने को ग़ालिब, ख़याल अच्छा है”